Friday, November 11, 2011

Just some thoughts!!!

आ भी जाओ के ज़िन्दगी कम है,
तुम नहीं हो तो हर ख़ुशी कम है,

वादा कर के भी यह कौन नहीं आया,
इस शहर में आज रोशनी कम है,

जाने क्या हो गया है मौसम को,
धुप ज्यादा है, चांदनी कम है,

आईना देखकर यह ख्याल आया,
आजकल उनकी दोस्ती कम है,

तुम्हारे दर पर हम इंतज़ार में है,
खुदा के घर में आज बंदगी कम है,

याद रखना मुझे 'बेनाम' ही सही,
पहेचान के लिए सारी ज़िन्दगी कम है...

3 comments:

  1. kai bhasha ma lakhyu 6e? , kadach 2nd line avi 6e k " tum nahi ho to har khushi kaha he.. " :P :P

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  3. जाने क्या हो गया है मौसम को,
    कम चांदनी में भी रोशन जहाँ हे.

    'बेनाम'होते हुए भी,ऐसा लिखा हे की,
    पहेचान होने में अब बस publishing की कमी हे.

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